अति पिछड़ों के भविष्य की राजनीति पर परिचर्चा का आयोजन

पटना : स्थानीय बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन सभागार में राष्ट्रीय अतिपिछड़ा संघर्ष मोर्चा के तत्वाधान में अति पिछड़ों के भविष्य की राजनीति पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता विजय कुमार चौधरी एवं संचालन प्रोफेसर दिलीप कुमार पाल ने की। अध्यक्षीय संबोधन में राष्ट्रीय अतिपिछड़ा संघर्ष मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी  ने कहा यदि अति पिछड़ा एकजुट हो जाए तो आने वाले चुनाव में अतिपिछड़ा के नेतृत्व में ही सरकार बनेगी। साथ ही उन्होंने कहा कि जाति आधारित गणना को वार्ड से लेकर जिला तक प्रकाशित किया जाए। कार्यक्रम के संयोजक मुकुल आनंद विश्वकर्मा ने कहा कि 40 प्रतिशत आबादी वाले अतिपिछड़ा समुदाय सत्ता से वंचित हैं और सभी राजनीतिक दलों ने पिछलग्गू बनाकर रखा है। उन्होंने कहा कि समय आ गया है अति पिछड़ा अब अपनी नेतृत्व में सरकार बनाएगी। अबकी बार, अतिपिछड़ा सरकार के नारा को बुलंद करते हुए मुकुल आनंद ने कहा कि अति पिछड़ा सरकार बनाने के लिए तन मन धन से संघर्ष करने के लिए तैयार एवं वचनबद्ध हूं। साथ ही ऐलान किया कि पूरे बिहार में अति पिछड़ा जागरूकता के लिए कर्पूरी रथ निकाला जाएगा तथा संपूर्ण बिहार का दौरा कर एक माह के अंदर रविंद्र भवन में बैठक की जाएगी एवं आगामी विधानसभा चुनाव 2025 पर विचार विमर्श की जाएगी। कार्यक्रम को संबोधित सह संयोजक डॉ. शैलेंद्र कुमार प्रजापति ने कहा कि जब तक अति पिछड़ों की संख्या बल के अनुपात में राजनीतिक प्रतिनिधित्व नहीं मिलेगी तब तक इस वर्ग का  शोषण दोहन अत्याचार होता रहेगा। हमलोग अब एक जुट होकर राज पाट शासन सत्ता हिस्सेदारी की लड़ाई लड़ेंगे। सभी जातियों का प्रतिनिधित्व दिलवाएंगे। जबकि सह संयोजक अजय कानू जी ने गरीबों वंचितों एवं अति पिछड़ों पर हो रहे अत्याचार के विरुद्ध आवाज उठाने का संकल्प लिया। सुजाता शर्मा ने कहा कि समय की मांग है कि अति पिछड़ा एकजुट होकर संघर्ष कर सत्ता पर काबिज हो। जहानाबाद लोकसभा के पूर्व प्रत्याशी दीपक शर्मा ने कहा कि अतिपिछड़ा वर्ग की सत्ता में हिस्सेदारी मिलेगी तब ही उनका शैक्षणिक व आर्थिक सशक्तिकरण होगा। राष्ट्रीय प्रवक्ता दिवाकर शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए अति पिछड़ों को संगठित होकर संघर्ष करने के लिए आह्वान किया। मौके पर उमेश प्रसाद चंद्रवंशी, आशीष नारायण, कुमार बिंदेश्वर सिंह, मोहम्मद उस्मान, नीतू सिंह निषाद, ललन भगत, प्रोफेसर अनिल कुमार सहनी, किशोरी दास, उमाशंकर साहनी, रामशंकर शर्मा, डॉ. रघुनंदन शर्मा, सुरेश पंचाल, रामशंकर शर्मा, मुन्ना मालाकार, संजय ठाकुर, हरे राम महतो, जफर इमाम अंसारी, अर्जुन ठाकुर, डॉ. अजय बिंद, सरोज राजभर, कर्ण राज, मुंद्रिका सिंह चंद्रवंशी, जेपीएन सिंह, मोहम्मद फिरोज मंसूरी, दाऊद राइन, मोहम्मद इशादुल हक, तनवीर आलम, प्रोफेसर विपिन कुमार, अशोक सिंह निषाद, नवीन प्रजापति, अजय मालाकार, रामेश्वर ठाकुर, मणिलाल आदि ने भी विचार व्यक्त किया।

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